हमारे शास्त्रों और पुराणों में कईं समस्याओं का निवारण बताया गया हैं ।कईं रोगों के उपचार भी बताये गये हैं ।कईं रोग मंत्र के जप से तो कईं रोग पाठ करने से भी दूर हो जाते हैं । इस चाक्षुषी विद्या का पाठ करने से नेत्रों के रोग दूर हो जाते हैं ।
ॐ अस्याश्चाक्षुषीविद्याया अहिर्बुध्य ऋषिर्गायत्री छन्दः सूर्यो देवता चक्षुरोगनिवृत्तये विनियोगः।
ॐ चक्षुः चक्षुः चक्षुः तेजः स्थिरो भव। मां पाहि पाहि।
त्वरितं चक्षूरोगान् शमय शमय। मम जातरूपं तेजो दर्शय दर्शय।
यथा अहम् अन्धो न स्या तथा कल्पय कल्पय। कल्याणं कुरु कुरु।
यानि मम पूर्वजन्मोपार्जितानि चक्षुः प्रतिरोधकदुष्कृतानि सर्वाणि निर्मूलय निर्मूलय।
ॐ नमः चक्षुस्तेजोदात्रे दिव्याय भास्कराय। ॐ नमः करुणा करायामृताय।
ॐ नमः सूर्याय। ॐ नमो भगवते सूर्यायाक्षितेजसेनमः।
खेचराय नमः । महते नमः। रजसे नमः । तमसे नमः।
असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मा अमृतं गमय।
उष्णो भगवाञ्छुचिरूपः । हंसो भगवान् शुचिरप्रतिरूपः।
य इमांचाक्षुष्मतीविद्यां ब्रह्मणो नित्यमधीतेन तस्याक्षिरोगो भवति ।
न तस्य कुले अन्धो भवति ।
अष्टौ ब्राह्मणान् सम्यग् ग्राहयित्वा विद्यासिद्धिर्भवति। ॐ नमो भगवते आदित्याय अहोवाहिनी अहोवाहिन स्वाहा।
???? ॥ श्रीकृष्णयजुर्वेदीया चाक्षुषी विद्या सम्पूर्णा ।।????
इस चाक्षुषी विद्या के श्रद्धा-विश्वासपूर्वक पाठ करने से नेत्र के समस्त रोग दूर हो जाते हैं। आँख की ज्योति स्थिर रहती है। इसका पाठ नित्य करनेवाले कुल में कोई अन्धा नहीं होता। पाठ के अन्त में गन्धादियुक्त जल से सूर्य को अर्घ्य देकर नमस्कार करना चाहिये।