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24 / Jun / 2020


शुभ और अशुभ स्वप्न का विचार



🌺🌻     पुष्कर कहते हैं- अब मैं शुभ अशुभ स्वप्न का वर्णन करूंगा तथा दुःस्वप्न-नाशके उपाय भी बतलाऊँगा।    🌻🌺

नाभिके सिवा शरीरके अन्य अंगों में तृण और वृक्षों का उगना, काँसके बर्तनोंका मस्तकपर रखकर फोड़ा जाना, माथा मुड़ाना, नग्न होना, मैले कपड़े पहनना, तेल लगना, कीचड़ लपेटना, ऊँचेसे गिरना, विवाह होना, गीत सुनना, वीणा आदिके बाजे सुनकर मन बहलाना, हिंडोलेपर चढ़ना, पद्म और लोहे का उपार्जन, सांप को मारना, लाल फूलसे भरे हुए वृक्षों तथा चांडाल को देखना, सूअर, कुत्ते, गदहे और ऊंट पर चढ़ना, चिड़ियोंके मांसका भक्षण करना, तेल पीना, खिचड़ी खाना, माताके गर्भमें प्रवेश करना, चितापर चढ़ना, इन्द्र के उपलक्ष्यमें खड़ी की हुई ध्वजाका टूट पड़ना, सूर्य और चन्द्रमा का गिरना, दिव्य, अन्तरिक्ष और भूगोल मे होनेवाले उत्पातोंका दिखायी देना, देवता, ब्राह्मण, राजा और गुरुओं का कोप होना, नाचना, हँसना, व्याह करना, गीत गाना, वीणा के सिवा अन्य प्रकारके बाजोंका स्वयं बजाना, नदीमें डूबकर नीचे जाना, गोबर, कीचड़ तथा स्याही मिलाये हुए जलसे स्नान करना, कुंवारी कन्याओं का आलिंगन, पुरुषोंका एक-दूसरेके साथ मैथुन, अपने अंगों की हानि, वमन और विरेचन करना, दक्षिण दिशा की ओर जाना, रोग से पीड़ित होना, फलों की हानि, धातुओं का भेदन, घरोंका गिरना, घरोंमें झाड़ू देना, पिशाचों, राक्षसों, वानरों तथा चाण्डाल आदिके साथ खेलना, शत्रुसे अपमानित होना, उसकी ओरसे संकटका प्राप्त होना, गेरुआ वस्त्र धारण करना तेल पीना या उसमें नहाना, लाल फूलों की माला पहनना और लाल ही चन्दन लगाना-ये सब बुरे स्वप्न हैं इन्हें दूसरोंपर प्रकट न करना अच्छा है।



🌼  ऐसे स्वप्न देखकर फिरसे सो जाना चाहिये। इसी प्रकार स्वप्नदोष की शान्ति के लिये स्नान, ब्राह्मणों का पूजन, तिल का हवन, ब्रह्मा, विष्णु, शिव और सूर्य के गण की पूजा, स्तुतिका पाठ तथा पुरुष सूक्त आदिका जप करना उचित है।  🌼




रातके पहले प्रहरमें देखे हुए स्वप्न एक वर्षतक फल देनेवाले होते हैं, दूसरे प्रहरके स्वप्न छः महीने में, तीसरे प्रहर के तीन महीनेमें, चौथे प्रहरके पंद्रह दिनोंमें और अरुणोदयकी वेलामें देखे हुए स्वप्न दस ही दिनोंमें अपना फल प्रकट करते हैं यदि एक ही रातमें शुभ और अशुभ-दोनों ही प्रकारके स्वप्न दिखायी पड़े तो उनमें जिसका पीछे दर्शन होता है, उसीका फल बतलाना चाहिये। अत: शुभ स्वप्न देखनेके पश्चात् सोना अच्छा नहीं माना जाता है। स्वप्न में पर्वत, महल, हाथी, घोड़े और बैलपर चढ़ना हितकर होता है। परशुरामजी! यदि पृथ्वी पर या आकाशमें सफेद फूलोंसे भरे हुए वृक्ष के दर्शन हो, अपनी नाभि से वृक्ष अथवा तिनका उत्पन्न हो, अपनी भुजाएँ और मस्तक अधिक दिखायी दें, सिरके बाल पक जाये तो उसका फल उत्तम होता है। सफेद फूलों की माला और श्वेत वस्त्र धारण करना, चन्द्रमा, सूर्य और ताराओंको पकड़ना, परिमार्जन कर्ण, इन्द्र की ध्वजा का आलिंगन करना, ध्वजाको ऊँचे उठाना, पृथ्वी पर पड़ती हुई जलकी धाराको अपने ऊपर रोकना, शत्रुओं की बुरी दशा देखना, वाद-विवाद, जूआ तथा संग्राम में अपनी विजय देखना, खीर खाना, रक्त का देखना, खून से नहाना, सुरा, मद्य अथवा दूध पीना, अस्त्रोंसे घायल होकर धरती पर छटपटाना, आकाश का स्वच्छ होना तथा गाय, भैंस, सिंहनी, हथिनी और घोड़ी को मुंह से दुहना-ये सब उत्तम स्वप्न हैं। देवता, ब्राह्मण और गुरुओंकी प्रसन्नता, गौओंके सींग अथवा चन्द्रमा से गिरते हुए जलके द्वारा अपना अभिषेक होना-ये स्वप्न राज्य प्रदान करनेवाले हैं, ऐसा समझना चाहिये। परशुराम जी! अपना राज्याभिषेक होना, अपने मस्तकका काटा जाना, मरना, आगमें पड़ना, गृह आदिमें लगी हुई आगके भीतर जलना, राजचिह्न का प्राप्त होना, अपने हाथसे वीणा बजाना ऐसे स्वप्न भी उत्तम एवं राज्य प्रदान करनेवाले हैं। जो स्वप्न के अंतिम भाग में राजा, हाथी, घोड़ा सुवर्ण, बैल तथा गाय को देखता है, उसका कुटुम्ब बढ़ता है। बैल, हाथी, महलकी छत, पर्वत-शिखर तथा वृक्ष पर चढ़ना, रोना, शरीरमें घी और विष्ठाका लग जाना -ये सब शुभ स्वप्न हैं॥