पुरुषों के शुभाशुभ लक्ष्णों का वर्णन - भाग १
राजा शतानीक ने पूछा- विप्रेन्द्र ! स्त्री और पुरुष के जो लक्षण कार्तिकेय ने बनाये थे और जिस ग्रन्थ को क्रोध में आकर भगवान शिव ने समुद्र में फेंक दिया था, वह कार्तिकेय को पुनः प्राप्त हुआ या नहीं ? इसे आप मुझे बताये।
सुमन्तु मुनिने कहा-राजेन्द्र ! कार्तिकेय ने स्त्री पुरुष के जैसा लक्षण कहा है, वैसा ही मैं कह रहा हैं। व्योमकेश भगवान के पुत्र कार्तिकेय ने जब अपनी शक्तिके द्वारा क्रौंच पर्वत को विदीर्ण किया. उस समय ब्रह्माजी उनपर प्रसन्न हो उठे। उन्होंने कार्तिकेय से कहा कि हम तुम पर, प्रसन्न हैं, जो चाहो वह वर मुझसे मांग लो। उस तेजस्वी कुमार कार्तिकेय ने नतमस्तक होकर उन्हें प्रणाम किया और कहा कि विभो ! स्त्री-पुरुषके विषयमें मुझे अत्यधिक कौतूहल है। जो लक्षण-ग्रन्थ पहले मैंने बनाया था उसे तो पिता देवदेवेश्वरने क्रोधमें आकर समुद्र में फेंक दिया,और फिर उसे समुद्र ने अपने नाम से प्रकट किया जिसे 'सामुद्रिक शास्त्र' कहा गया उसको सुनने की मेरी इच्छा है। आप कृपा करके उसीका वर्णन करें।
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ब्रह्माजी बोले-तुमने अच्छी बात पूछी है। समुद्रने जिस प्रकारसे उन लक्षणों को कहा है, उसी प्रकार मैं तुम्हें सुना रहा हूँ। समुद्रने स्त्री-फुरुषोंके इतम, मध्यम तथा अधम तीन प्रकारके लक्षण बतलाये हैं। शुभाशुभ लक्षण देखनेवालेको चाहिये कि वह शुभ मुहूर्त में मध्याह्न के पूर्व पुरुष के लक्षणों को देखे । प्रमाणसमूह, छायागति, सम्पूर्ण अङ्ग. दाँत, केश, नख, दाढ़ी-मूंछ के लक्षण देखना चाहिये। पहले आयुकी परीक्षा करके ही लक्षण बताने चाहिये। आयु कम हो तो सभी लक्षण व्यर्थ हैं अपनी अंगुलियों से जो पुरुष एक सौ आठ यानी चार हाथ बारह अङ्गुलका होता है, वह उत्तम होता है। सौ अङ्गुलका होनेपर मध्यम और नब्बे अङ्गलका होनेपर अधम माना जाता है |
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ब्रह्माजी पुनः बोले-कार्तिकेय ! चन्द्रमण्डलके समान मुखवाला व्यक्ति धर्मात्मा होता है और जिसका मुख सूँडकी आकृतिका होता है वह भाग्यहीन होता है। टेढ़ा, टूटा हुआ, विकृत और सिंहके समान मुख वाला चोर होता है। सुन्दर और कान्तियुक्त श्रेष्ठ हाथीके समान भरा हुआ सम्पूर्ण मुखवाला व्यक्ति राजा होता है। बकरे अथवा बंदरके समान मुखवाला व्यक्ति धनी होता है जिसका मुख बड़ा होता है उसका दुर्भाग्य रहता है। छोटा मुखवाला कृपण, लंबा मुखवाला धनहीन और पापी होता है। चौसूटा मुखवाला धूर्त, स्त्री के मुख के समान मुखवाला और निम्न मुखवाला पुरुष पुत्रहीन होता है या उसका पुत्र उत्पन्न होकर नष्ट हो जाता है। जिसके कपोल कमलके दलके समान कोमल और कान्तिमान् होते हैं, वह धनवान् एवं कृषक होता है । सिंह, बाघ और हाथी के समान कपोल वाला व्यक्ति विविध भोग-सम्पत्तियों वाला और सेनाका स्वामी होता है। जिसका नीचेका होठ रक्तवर्णका होता है, वह राजा होता है और कमलके समान अधरवाला धनवान होता है। मोटा और रूखा होंठ होनेपर दुःखी होता है। जिसके कान मांसरहित हो वह संग्राममें मारा जाता है। चिपटा कान होनेपर रोगी, छोटा होनेपर कृपण, शब्के समान कान होनेपर राजा, नाड़ियोंसे व्याप्त होनेपर क्रूर, केशोंसे युक्त होनेपर दीर्घजीवी, बड़ा, पुष्ट तथा लंबा कान होनेपर भोगी तथा देवता और ब्राह्मण की पूजा करने वाले एवं राजा होता है।
जिसकी नाक शुककी चाच के समान हो वह सुख भोगनेवाला और शुष्क नाक वाला दीर्घजीवी होता है। पतली नाक वाला राजा, लंबी नाक वाला भोगी, छोटी नाक वाला धर्मशील, हाथी, घोड़ा. सिंह या सुईको भाँति तीखी नाक वाला व्यापार में सफल होता है। कुन्द-पुष्पकी कलीके समान उवल दाँतवाला राजा तथा हाथीके समान दाता एवं चिकने दाँतवाला गुणवान् होता है। भालू और बंदरके समान दाँतवाले नित्य भूखसे व्याकुल रहते हैं। कराल, रूखे, अलग-अलग और फूटे हुए दाँतवाले दुःखसे जीवन व्यतीत करनेवाले होते है। बत्तीस दांत वाले राजा, एकतीस दांत वाले भोगी, तीस दांत वाले सुख-दुःख भोगनेवाले तथा उनतीस दाँतवाले पुरुष दुःख ही भोगते हैं। काली या चित्रवर्णकी जीभ होने पर व्यक्ति दासवृत्तिसे जीवन व्यतीत करता है। रूखी और मोटी जीभ वाला क्रोधी, श्वेतवर्ण जीभ वाला पवित्र आचरणसे सम्पन्न होता है। निम्न, स्त्रिन्ध, अग्रभाग रक्तवर्ण और छोटी जिभ वाला विद्वान् होता है। कमल के पत्ते के समान पतली, लंबी न बहुत मोटी और न बहुत चौड़ी जिह्वा रहनेपर राजा होता है। काले रंग का तालुवाला अपने कुलका नाशक, पीले तालुवाला सुख-दुःख भोग करनेवाला, सिंह और हाथों के तालुके समान तथा कमलके समान तालुवाला राजा होता है, श्र्वेत तालुवाला धनवान होता है। रूखा, फटा हुआ तथा विकृत तालुवाला मनुष्य अच्छा नहीं माना जाता। हंस के समान स्वरवाले तथा मेष के समान गम्भीर स्वर वाले पुरुष धन्य माने गये है। क्रौंच के समान स्वरवाले राजा, महान् धनी तथा विविध सुखोंका भोग करनेवाले होते है। चक्रवात के समान जिनका स्वर होता है ऐसे व्यक्ति धन्य तथा धर्मवत्सल राजा होते है। बड़े एवं दुंदुभिके समान स्वरवाले पुरुष राजा होते है। रूखे, ऊँचे, क्रूर, पशुओं के समान तथा प्रयुक्त स्वर वाले पुरुष दुःखभागी होते हैं। नील कण्ठ पक्षी के समान स्वरवाले भाग्यवान् होते फूटे कासे के बर्तनके समान तथा टूटे-फूटे स्वरवाले अधम कहे गये है। दाडिमके पुष्पके समान नेत्रवाला राजा, व्याधके समान नेत्र वाला क्रोधी, केकड़ेके समान आँख वाला झगड़ालू, बिल्ली और हंस के समान नेत्र वाले पुरुष अधम होता है। मयूर एवं नकुलके समान आँख वाले मध्यम माने जाते हैं। शहद के समान पिङ्गल वर्ण के नेत्र वाले को लक्ष्मी कभी भी त्याग नहीं करती। गोरोचन, गुंजा और हरतालके समान पिङ्गल नेत्रवाला बलवान् और धनेश्वर होता है। अर्थचन्द्रके सामने ललाट होने पर राजा होता है बडा ललाट होने पर धनवान् होता है। छोटा ललाट होनेपर धर्मात्मा होता है।
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ललाट के बीच जिस स्त्री तथा पुरुषके पाँच आड़ी रेखा होती है वह सौ वर्षोतक जीवित रहता है और ऐश्वर्य भी प्राप्त करता है। चार रेखा होनेपर अस्सी वर्ष तीन रेखा होनेपर सत्तर वर्ष, दो रेखा होनेपर साठ वर्ष, एक रेखा होनेपर चालीस वर्ष और एक भी रेखा न होनेपर पचीस वर्षकी आयुवाला होता है। इन रेखाओं के द्वारा हीन, मध्यम और पूर्ण आयु की परीक्षा करनी चाहिये। छोटी रेखा होनेपर व्याधियुक्त तथा अल्पायु और लंबी-लंबी रेखाएँ होनेपर दीर्घायु होता है। जिसके ललाट में त्रिशूल अथवा पट्टिशका चिह्न होता है, वह बड़ा प्रतापी, कीर्ति-सम्पन्न राजा होता है।
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छत्रके समान सिर होनेपर राजा, लंबा सिर होनेपर दुःखी, दरिद्र, विषम होनेपर समान तथा गोल सिर होनेपर सुखी, हाथी के समान सिर होने पर राजा के समान होता है। जिनके केश अथवा रोम मोटे, रूखे, कपिल और आगेसे फटे हुए होते हैं, वे अनेक प्रकारके दुःख भोगते है। बहुत गहरे और कठोर केश दुःखदायी होते हैं विरल, श्रेण्य, कोमल, भ्रमर अथवा अंजनके समान अतिशय कृष्ण केशवाला पुरुष अनेक प्रकारके सुखका भोग करता है और राजा होता है।