loader-missing
Language:

29 / Jun / 2020


पुरुषों के शुभाशुभ लक्ष्णों का वर्णन - भाग 2

हे कुमार ! अब में पुरुषके अङ्गोका लक्षण कहता हूँ। जिसका पैर कोमल, मांसल, रक्तवर्ण, स्निग्ध, ऊँचा, सोने से रहित और नाड़ियोंसे व्याप्त न हो अर्थात् नाड़ियाँ दिखायी नहीं पड़ती है तो वह पुरुष राजा होता है। जिसके पैरके तलवेमें अंकुश का चिन्ह हो, वह सदा सुखी रहता है। कछुवेके समान ऊँचे चरणवाला, कमल के सदृश कोमल और परस्पर मिली हुई अंगुलियों वाला, सुन्दर एडीसे युक्त, निगूढ टखनेवाला, सदा गर्म रहने वाला, प्रस्वेद शून्य, रक्तवर्ण के नखों से अलंकृत चरणवाला पुरुष राजा होता है। सूर्पके समान रूखा, सफेद नखों से युक्त, टेढ़ी-रूखी नाड़ियोंसे व्याप्त. विरल अङ्गुलियोंसे युक्त चरणवाले पुरुष दरिद्र और दुःखी होते हैं। जिसका चरण आगमें पकायी गयी मिट्टी के समान वर्णका होता है, वह ब्रह्महत्या करनेवाला, पीले चरणवाला अगम्यागमन करनेवाला, कृष्णवर्णके चरणवाला मद्यपान करनेवाला तथा श्वेतवर्ण के चरणवाला अभक्ष्य पदार्थ भक्षण करनेवाला होता है। जिस पुरुष के पैरों के अंगूठे मोटे होते हैं वे भाग्यहीन होते हैं। विकृत अंगूठे वाले सदा पैदल चलनेवाले और दुःखी होते हैं। चिपटे, विकृत तथा टूटे हुए अंगूठेवाले अतिशय निन्दित होते हैं तथा टेढ़े, छोटे और फटे हुए अँगूठेवाले कष्ट भोगते है। जिस पुरुष के पैर की तर्जनी अंगुली अँगूठे से बड़ी हो उसको स्त्री-सुख प्राप्त होता है। कनिष्ठा उंगली बड़ी होनेपर स्वर्णकी प्राप्ति होती है। चपटी, विरल, सूखी उंगली होने पर पुरुष नहीं होता है और सदा दुःख भोगता है। रुक्ष और श्वेत नख होनेपर दुःख की प्राप्ति होती है।


खराब नख होनेपर पुरुष शीलरहित और कामभोग रहित होता है। रोमसे युक्त जंघा होनेपर भाग्यहीन होता है। जांघ छोटे होनेपर ऐश्वर्य प्राप्त होता है, किंतु बन्धनमें रहता है। मृगके समान जंघा होनेपर राजा होता है। लंबी, मोटी तथा मांसल जंघावाला ऐश्वर्य प्राप्त करता है। सिंह तथा बाघ के समान जंघा वाला धनवान होता है। जिसके घुटने मांसरहित होते हैं, वह विदेशमें मरता है, विकट जानु होनेपर दरिद्र होता है। नीचे घुटने होनेपर स्त्री-जित होता है , और मांसल जानु होनेपर राजा होता है। हंस, भास पक्षी, शुक्र, वृष, सिंह, हाथी तथा अन्य श्रेष्ठ पशु-पक्षियोंके समान गति होनेपर व्यक्ति राजा अथवा भाग्यवान् होता है। ये आचार्य समुद्र का वचन है. इनमें संदेह नहीं है।




जिस पुरुषका रक्त कमलके समान होता है वह धनवान् होता है। कुछ लाल और कुछ काला रुधिर वाला मनुष्य अधम और पापकर्मको करनेवाला होता है। जिस पुरुषका रक्त मूँगे के समान रक्त और स्निग्ध होता है, वह सात द्वीपों का राजा होता है। मृग अथवा मोरके समान पेट होनेपर उत्तम पुरुष होता है। बाघ, मेढक और सिंहके समान पेट होनेपर राजा होता है। मांससे पुष्ट, सीधा और गोल पार्श्ववाला व्यक्ति राजा होता है। बाघ के समान पीठवाला व्यक्ति सेनापति होता है। सिंहके समान लंबीपीठ वाला व्यक्ति बन्धनमें पड़ता है। कछुयेके समान पीठवाला पुरुष धनवान् तथा सौभाम्य-सम्पन्न होता है। चौड़ा, मांससे पुष्ट और रोमयुक्त वक्षःस्थल वाला पुरुष शतायु, धनवान् और उत्तम भोग को प्राप्त करता है।




सूखी, रूखी, विरल हाथ की अंगुलियों वाला पुरुष धनहीन और सदा दुःखी रहता है।  जिसके हाथ में मत्स्य रेखा होती है, उसका कार्य सिद्ध होता है और वह धनवान् तथा पुत्रवती होता है। जिसके हाथमें तुला अथवा वेदीका चिह्न होता है, वह पुरुष व्यापारमें लाभ करता है। जिसके हाथ में सोमलता का चिह्न होता है, वह धनी होता है और यज्ञ करता है। जिसके हाथ में पर्वत और वृक्षका चिह्न होता है, उसकी लक्ष्मी स्थिर होती है और वह अनेक सेवक का स्वामी होता है। जिसके हाथ में बर्छी,बाण, तोमर, खड्ग और धनुषका चिन्ह होता है, वह युद्ध में विजयी होता है | जिसके हाथ में ध्वजा और शंख का चिह्न होता है,वह जहाजसे व्यापार करता है और धनवान होता है। जिसके हाथ में श्रीवत्स, कमल, वज्र, रथ और कलश का चिह्न होता है, वह शत्रु रहित राजा होता है। दाहिने हाथ के अँगूठे में यवका रहनेपर पुरुष सभी विद्याओं का ज्ञाता तथा प्रवक्ता होता है। जिस पुरुष के हाथ में कनिष्ठा के नीचे से तर्जनीके मध्यतक रेखा चली जाती है और बीच मे अलग नहीं रहती है तो वह पुरुष सौ वर्षों तक जीवित रहता है। जिसका पेट साँप के समान लंबा होता है वह दरिद्री और अधिक भोजन करने वाला होता है। विस्तीर्ण, फैली हुई. गम्भौर और गोल नाभि वाला व्यक्ति सुख भोगनेवाला और धन-धान्यसे सम्पन्न होता है। नीची और छोटी नाभि वाला व्यक्ति विविध क्लेशोंको भोगनेवाला होता है। बल्कि नीचे नाभि हो और यह विषम हो तो धनकी हानि होती है। दक्षिणावर्त नाभि बुद्धि प्रदान करती है और वामावर्त नाभि शान्ति प्रदान करती है। जिसके स्कन्ध कठोर एवं मांसल तथा समान हों वे राजा होते हैं और सुखी रहते हैं। जिसका वक्षःस्थल बराबर, उन्नत, मांसल और विस्तृत होता है वह राजा के समान होता है। इसके विपरीत कड़े रोमवाले तथा नसें दिखायी पड़नेवाले वक्षःस्थल प्रायः निर्धनोंके ही होते हैं। दोनों वक्ष:स्थल समान होनेपर पुरुष धनवान् होता है, पुष्ट होनेपर शूरवीर होता है, छोटे होनेपर धनहीन तथा छोटा-बड़ा होनेपर अकिंचन होता है और शस्त्र से मारा जाता है। विषम हनुवाला धनहीन तथा उन्नत हनु(ठुड्डी)वाला भोगी होता है। चिपटी ग्रीवा वाला धनहीन होता है। महिषके समान ग्रीवा वाला शूरवीर होता है। मृगके समान ग्रीवा वाला डरपोक होता है। समान ग्रीवा (गरदन)वाला राजा होता है। तोता, ऊँट, हाथी और बगुलेके समान लंबाई तथा शुष्क ग्रीवा वाला धनहीन होता है। छोटी ग्रीवा वाला धनवान् और सुखी होता है। पुष्ट, दुर्गन्धरहित, सम एवं थोड़े रोमोंसे युक्त कांख वाले धनी होते हैं, जिसकी भुजाएँ ऊपरको खिंची रहती हैं, वह बन्धनमें पड़ता है। छोटी भुजा रहनेपर दास होता है. छोटी-बड़ी भुजा होनेपर चोर होता है, लंबी भुजा होनेपर सभी गुणोंसे युक्त होता है और जानुओंतक लंबी भुजा होनेपर राजा होता है। जिसके हाथका तल गहरा होता है उसे पिता का धन नहीं प्राप्त होता, वह डरपोक होता है। ऊँचे करतलवाला पुरुष दानी, विषम करतलवाला पुरुष मिश्रित फलवाला, लाख के समान रक्तवर्ण वाला करतल होनेपर राजा होता है। पीले करतलवाला पुरुष अगम्यागमन करनेवाला, काला और नीला करतलवाला मद्यादि द्रव्योंका पान करने वाला होता है। रूखे करतल वाला पुरुष निर्धन होता है। जिनके हाथ की रेखाएँ गहरी और स्निग्ध होती हैं वे धनवान होते हैं। इसके विपरीत रेखा वाले दरिद्र होते हैं। जिनकी उंगलियां विरल होती हैं, उनके पास धन नहीं उतरता और गहरी तथा छिद्रहीन अंगुली रहनेपर घनका संचयी रहता है।


जिसके नेत्र कमलदलके समान और अन्तमें रक्तवर्णके होते हैं. वह लक्ष्मी का स्वामी होता है। शहद के समान पिङ्गल नेत्रवाला पुरुष महात्मा होता है सूखी आँख वाला डरपोक, गोल और चक्रके समान घूमने वाली आँखोवाला चोर, केकड़ेके समान आँख वाला क्रूर होता है। नील कमल के समान नेत्र होनेपर विद्वान, श्याम वर्णक नेत्र होने पर भाग्यशाली, विशाल नेत्र होनेपर भाग्यवान्, स्थूल नेत्र होनेपर राजमन्त्री और दीन नेत्र होनेपर दरिद्र होता है। भौं विकास होने पर सुखी, ऊँची होनेपर अल्पायु और विषम या बहुत लंबी होनेपर दरिद्र और दोनों भौहोंके मिले हुए होनेपर धनहीन होता है। मध्यभागमें नीचेकी ओर की भौहवाले परदाराभिगामी होते है। बालचन्द्रकलाके समान भौहें होनेपर राजा होता है ऊँचा और निर्मल ललाट होनेपर उत्तम पुरुष होता है, नीचा ललाट होनेपर स्तुति किया जाने वाला और धनसे युक्त होता है, कहीं ऊँचा और कहीं नीचा ललाट होनेपर दख्धि तथा सीपके समान ललाट होनेपर आचार्य होता है। स्निग्ध हास्ययुक्त और दीनतासे रहित मुख शुभ होता है, दैन्यभावयुक्त तथा आँसुओं से युक्त आँखोवाला एवं रूखे चेहरे वाले श्रेष्ठ नहीं है। उत्तम पुरुषका हास्य कम्पनरहित धीरे-धीरे होता है। अधम व्यक्ति बहुत शब्द के साथ हंसता है। हँसते समय आंखों को मूँदने वाला व्यक्ति पापी होता है। गोल सिर वाला पुरुष अनेक गौओंका स्वामी तथा चिपटा सिर वाला माता-पिता को मारने वाला होता है। पष्टेकी आकृतिके समान सिर वाला सदा कहीं-न-कहीं यात्रा करता रहता है। निम्न सिर वाला अनेक अनर्थो को करनेवाला होता है। इस प्रकार पुरुषोंके शुभ और अशुभ लक्षणों को मैंने आपसे कहा।